The actress of the song Babuji dhire chalna, who belonged to the royal family, Guru Dutts film made her a star mastram


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नई दिल्ली। ‘बाबूजी धीरे-धीरे चलना, प्यार में जरा संभलना’, अगर आपने ये गाना सुना होगा, तो आपको उस हसीना का चेहरा याद आएगा, जिसने इस गाने में अपने हुस्न का जलवा दिखाया होगा। साल 1954 में आई फिल्म ‘आर पार’ के इस गाने और एक्ट्रेस शकीला को सात दशक बाद भी लोग को धुंधला नहीं पाए गए, अपने रिश्ते में एक से लेकर एक तक की फिल्में दी।




शायद 50 और 60 के दशक का कोई ऐसा एक्टर बच्चा होगा, जिसने शकीला के साथ काम नहीं किया हो। चाहे वह गुरुदत्त हो या सुनील दत्त या फिर मनोज कुमार। उस दौर में लगभग सभी एक्टर्स के साथ शकीला ने काम किया था।

1 जनवरी, 1936 को जन्मीं शकीला का असली नाम ‘बादशाहजहां’ था। बताया जाता है कि उनके पूर्व अफगानिस्तान और ईरान के शाही खानदान से गोदाम थे। राजगद्दी पर बिजनेस के खानदानी झगड़ों की वजह से उनकी दादा-दादी और मां की शादी हो गई। शकीला अपनी दो बॅलीज़ और बॅटरीज़ चॉकलेट बॅट के साथ भागकर मुंबई आ गई। उनकी किताबों में शकीला और उनके दो पूर्वजों का पालन-पोषण हुआ।

शकीला की किताब को फिल्में देखने का शौक था। वह अपनी बुक के साथ ही फिल्में देखने गईं, देखने से उनकी फिल्म सिनेमा में होने लगी। उन्हें पहली बार फिल्म ‘दास्तां’ में ब्रेक मिला। इस समय उनकी उम्र 15 साल थी। इसी फिल्म से उनका नया नाम ‘शकीला’ मिला।

फिल्म इंडस्ट्री में शकीला को पहचान मिली साल 1954 में आई गुरुदत्त की फिल्म ‘आर पार’ से। इस फिल्म के मशहूर गाने ‘बाबूजी धीरे-धीरे चलते हैं’ में उनके हुस्न के चर्च हर तरफ चले गए। हालाँकि, इससे पहले उन्होंने गुमास्ता (1951), सिंदबाद द सेलर (1952), राजरानी दमयंती (1952), आगोश (1953), शहंशाह (1953), राज पैलेस (1953), अरमान (1953) जैसी फिल्में भी की थीं। उनकी किस्मत का सितारा चमका और वह देव आनंद के साथ फिल्म ‘सी डेटाबेस’, सुनील दत्त के साथ ‘पोस्टबॉक्स 999’, मनोज कुमार के साथ ‘रेशमी रूमाल’ और ‘काली टोपी लाल रूमाल’ में नजर आईं।

फिल्म ‘सी बोर्ड’ के गाने ‘लेके पहला-पहला प्यार, भरके आंखों में मजा’ में उनके अंदाज ने प्रेमी को दीवाना बना दिया। इसके बाद शकीला ने शम्मी कपूर के साथ ‘चाइना टाउन’ जैसी सुपरहिट फिल्म की। अपने फ़िल्मी करियर के दौरान उन्होंने जाने-माने अभिनेताओं और निर्देशकों के साथ 50 से अधिक फ़िल्मों में काम किया। साल 1963 में आई फिल्म ‘उस्तादों के उस्ताद’ उनकी आखिरी फिल्म थी।

शकीला ने तो छोड़ दिया जैसी फिल्में कीं, लेकिन उनके दौर की कलाकार जबीन, श्यामा, अजरा, वेदा रहमान और नंदा से हमेशा दोस्ती बनी रही। शकीला की 20 सितंबर 2017 को मुंबई में हार्ट अटैक से मृत्यु हो गई। निधन के समय उनकी उम्र 82 वर्ष थी।

– समाचार

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