Muslim merchant wrote Bhagavad Gita on cloth with ink made from Ganges water, Varanasi News in Hindi mastram


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वाराणसी। वाराणसी के एक मुस्लिम और व्यापारी ने सफेद सूती कपड़े की बड़ी चादर पर गंगा की मिट्टी के पानी का उपयोग कर सुलेख में श्रीमद भगवद गीता लिखी है। राष्ट्रपति वह द्रौपदी मुर्मू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ समेत प्रतिष्ठित प्रतिभाओं को अपनी कृतियों का मौका देना चाहते हैं।




निजीकरण हाजी इरशाद अली (53) ने पवित्र कुरान, हनुमान चालीसा और अन्य धार्मिक ग्रंथों पर भी इसी शैली में सूती पोशाकें लिखी हैं।

इरशाद ने कहा, जब मैं 14 साल का था, तब मैंने शव को दफनाने से पहले कफन परदे के लिए मीटर के कपड़े के टुकड़े पर शाहदतेन लिखना शुरू कर दिया था।

शाहदातेन का शाब्दिक अर्थ है विश्वास की घोषणा, यह घोषित करना कि केवल एक ही ईश्वर है, अल्लाह और मुहम्मद उनके देवता हैं।

पादरी का जुनून और बढ़ गया, और मैंने पवित्र कुरान को कपड़े पर पादरी का निर्णय दिया। गंगा की मिट्टी, आब-ए-जमजम (जमजम पानी), जाफरान और सोना से बने अवशेष से कुरआन के सभी 30 ज्वालामुखी को पूरा करने में लगभग छह साल लग गए।

इस हैवी-भरकम बुक की बाइडिंग के लिए मशहूर बनारसी ऑर्केस्ट्रा ब्रोकेड का इस्तेमाल किया गया है।

श्रीमद्भगवद गीता को एक ही शैली और आकार में इस्तेमाल करने के लिए, उन्होंने इसे तैयार करने के लिए गंगा जल के साथ गंगा मिट्टी और गोंद का उपयोग किया।

उन्होंने श्रीमद्भगवद्गीता को समझने के लिए संस्कृत सीखी।

उन्होंने कहा, मैंने स्थानीय पुरोहितों की मदद के लिए एक संस्कृत अनुवाद पुस्तक साहित्य और भाषा सीखने के लिए ली।

उन्होंने विष्णु शस्त्रनाम, हनुमान चालीसा और राष्ट्रगान पर भी सूट किया।

दिलचस्प बात यह है कि उनका पूरा पारिवारिक लेखन इस जुनून से दर्शनीय है। उन्होंने कहा कि इस काम में पत्नी, दो बेटियां और दो बेटे समेत परिवार के सभी सदस्य अपना साथ देते हैं।

शयनकक्ष की तस्वीरें उनकी पत्नी और बेटी द्वारा तैयार की जाती हैं, जबकि यश उनके बेटों द्वारा तैयार की जाती हैं।

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वेब शीर्षक-मुस्लिम व्यापारी ने गंगाजल से बनी स्याही से कपड़े पर लिखी भगवद गीता



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