हैवान ही नहीं दरिंदा बाप mastram


25 वर्षीय राधा गुप्ता सुबह से बेचैन क्यों नहीं थीं। घर के किसी काम में वह मन नहीं लग रहा था। रहरह कर वह कभी कमरे से किचन में जाती और कभी किचन से कमरे में. उस ने यह क्रिया कई बार दोहराई तो कमरे में बैठे पति सुनील से नहीं रहा।

उसने पूछा, ”क्या बात है राधा, मैं काफी देर से देख रहा हूं कि तुम किचन और कमरे के बार-बार चक्कर लगा रही हो।” आखिर बात क्या है?”

”आप को क्या बताऊँ. मैं खुद भी नहीं समझ पा रही हूं कि मैं ऐसा क्यों कर रही हूं।” राधा ने झिझकते हुए उत्तर दिया, ”पता नहीं सुबह से ही मेरा मन किसी काम में नहीं लग रहा।” जी भी बहुत चिंतित रहा है.”

”तबियत तो ठीक है न तुम्हारे?” पति ने पूछा।

”हाँ, तबियत ठीक है.”

”तो फिर क्या बात है, मन क्यों चिंतित रह रहा है?” कहो तो ऐसे किसी डॉक्टर को दिखा दूं?”

”अरे नहीं, आप परेशान मत होइए, डॉक्टर की कोई जरूरत नहीं है। अभी थोड़ी देर में भलीचंगी हो जाऊंगी।”

”मैं तो इसलिए कह रहा था कि मैं ड्यूटी पर चला गया, फिर रात में ही घर लौट आऊंगा। इस बीच कुछ हो गया तो…”

”अरे बाबा, मैं तो कुछ नहीं कहने वाला। मेरी फ़िक्र मत करो, आप आराम से ड्यूटीज जाइए. वैसे भी कोई बात होती है तो घर वाले नहीं मुझे सिखाने के लिए.” कह कर राधा कमरे से किचन की ओर चली गई.

इस बार किचन से वह पूरा काम कंपोनेंट कर निकली थी। पति को खाना खिलाने की ड्यूटी भी भेज दी।

काम तय करके वह बिस्तर पर लेटी ही थी कि तभी उस के फोन की घंटी बज उठी। फोन उठा कर उस ने देखा तो स्क्रीन पर उस के पापा जयप्रकाश गुप्ता का नंबर था। राधा ने झट से चहकते हुए काल रिस्ते की।

उस दिन राधा को अपने पिता की बातों से मोह हुआ तो उस ने उन से इस की वजह जाननी चाही। जयप्रकाश ने कहा, ”क्या बताऊं बेटी, मुझसे एक अनर्थ हो गया।”

”अनर्थ? कैसा अनर्थ?” राधा ने पूछा।

”बेटी, घर में आ कर मैंने अपने ही हाथों फूल सी छोटी बेटी प्रिया को मौत के घाट उतार दिया।”

”क्याऽऽ! प्रिया को आप ने मार डाला?” राधा चीखती हुई बोली.

”हां बेटी, उस की चरित्रहीनता ने मुझे हत्यारा बना दिया। मैंने उसे सुधरने के कई मौके दिए लेकिन वह अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रही थी और मेरे हाथों यह अनर्थ हो गया।”

”ये क्या किया आपने पापा? मेरी बहन को मार डाला.” इतना कह कर राधा ने फोन डिस्कनेक्ट कर दिया और निढाल हो कर दहाड़ मारने लगी.

अचानक बहू के रोने की आवाज सुन कर उस के सस्ससुर चिंतित हो गए कि अभी तो भलीचंगी किचन से अपने कमरे में गई है, फिर अचानक उसे क्या हो गया कि दहाड़ मार कर रोने लगी। वे भागे भागे बहू के कमरे में पहुंचे तो देखा कि बहू बिस्तर पर लेती सिसकियाँ ले रही थी।

उस के ससुर ने जब बहू से रोने की वजह पूछी तो उस ने पूरी बात उन्हें बता दी। बहू की बात सुन कर ससुर भी चौंक गए कि समधी ने ये क्या कर दिया।

थोड़ी देर बाद जब राधा थोड़ी सामान्य हुई तो उस ने पति को फोन कर के सारी बातें बतायीं। सुनील भी आश्चर्यचकित रह गए. उन्होंने अपनी पत्नी के तहेरे भाई विनोद को फोन करके यह बात बताकर उससे पूछा कि ऐसे हालात में क्या करना चाहिए।

काफी सोच-विचार के बाद विनोद इस नतीजे पर पहुंचे कि बात पुलिस को बतानी चाहिए क्योंकि यह मामला हत्या से जुड़ा है। आज नहीं तो कल यह राज खुल ही जाएगा। विनोद ने सुनील से कहा कि वह शपथ को फोन करके इसकी सूचना दे रही है। उस के बाद गोला थाना जा कर वहां के एसो से मिल जाएगा.

विनोद ने उसी समय राहुल दा. सुनील गुप्ता को अपना परिचय देते हुए पूरी घटना की जानकारी दे दी। मामला हत्या का था, इसलिए उन्होंने थाना गोला के एसओ संजय कुमार को तुरंत मौके पर पहुंचकर कार्रवाई करने का आदेश दिया।

कैप्टन के आदेश पर एसओ संजय कुमार 17 अगस्त को ही जयप्रकाश गुप्ता के विष्णुपुर स्थित घर पहुंचे। जयप्रकाश उस समय घर पर ही थे। सुबह-सुबह दरवाजे पर पुलिस को देख कर जयप्रकाश की जान हलक में फंस गई। उसे हिरासत में लेकर पुलिस थाने लौट आई।

एसो संजय कुमार ने जयप्रकाश से उस की बेटी प्रिया के बारे में सख्ती से पूछताछ की तो उस ने बताया कि उस ने 27 जुलाई, 2019 को बेटी की गला घोंट कर हत्या कर दी थी, फिर उस की गर्दनदंड से अलग कर दी थी। बाद में सिर को प्लास्टिक के एक बोरे में भरकर उरुवा थाना क्षेत्र में फेंक दिया गया और धड़ वाले हिस्से को फेंक दिया गया और उस कपड़े से बने दूसरे कपड़े को प्लास्टिक के बोरे में भरकर गोला थाना क्षेत्र के चेनवा नाले में फेंक दिया गया।

प्रिया का सिर और धड़ बरामद करने के लिए पुलिस उसे मौके पर ले गई। उस की निशानदेही पर चेनवा नाले से धड़ बरामद कर लिया गया। 22 दिनों से धड़ पानी में पड़े रहने की वजह से कंकाल में गंध आ रही थी। पुलिस ने शवों को अपने कब्जे में लेकर उन्हें वहां भेज दिया। लेकिन उस के सिर का कहीं पता नहीं चला.

इसो संजय ने जब उससे पूछा कि तुमने अपनी ही बेटी की हत्या क्यों की, तो दबी जुबान में जयप्रकाश गुप्ता ने जो जवाब दिया, उसे सुन कर वही नहीं, वहां मौजूद सभी ने अपने दांतों तले उंगलियां दबा लीं। कलयुगी पिता जयप्रकाश ने प्रतिरोध की मर्यादा का खून किया था।

करीब 22 दिनों से रहस्यमयी ढंग से प्रिया के राज से परदा उठ चुका था। बहन की हत्या से राधा बहुत दुखी थी। वह पिता की घिनौनी करतूत पर गुस्सा आ रहा था। राधा ने साहस का परिचय देते हुए पिता जयप्रकाश के खिलाफ धारा 302, 201, 120बी भादंसं के तहत रिपोर्ट दर्ज कराई।

जयप्रकाश गुप्ता से पूछताछ के बाद इस मामले की जो घिनौनी कहानी सामने आई, वह सुन कर सभी हैरान रह गए।

करीब 55 वर्षीय जयप्रकाश गुप्ता मूलरूप से उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले के गोला थाना क्षेत्र के विष्णुपुर राजा बुजुर्ग गांव का रहने वाला था। वह गैले का व्यवसाय करता था। करीब 15 साल पहले उस ने विष्णुपुर के राजा बुजुर्ग गांव में मकान बनवा लिया और परिवार के साथ रहने लगा था।

उस के परिवार में पत्नी और 2 बेटियां राधा और प्रिया थीं। जयप्रकाश को बेटे की चाहत थी लेकिन बेटा नहीं हुआ। तब उस ने बेटे की परवरिश बेटों की तरह की. वह छोटे से खुशहाल परिवार के साथ जीवनयापन कर रही थी। दुकान से भी उसे अच्छी कमाई हो जाती थी.

जयप्रकाश गुप्ता की गृहस्थी की गाड़ी बड़े निराशाजनक तरीकों से चल रही थी। पता नहीं उस की गृहस्थी को किस की नजर लगी कि सब कुछ छिन्नभिन्न हो गया। बात साल 2009 की है. अचानक उस की पत्नी की मृत्यु हो गई।

उस समय उस की दोनों बेटियाँ 10-12 साल के बीच की थीं। बेटियों की परवरिश की जिम्मेदारी जयप्रकाश पर आ गई थी। जयप्रकाश के बड़े भाई राधा और प्रिया को दिल से अपनी बेटी मानते थे और उन्हें उसी तरह दुलारते भी थे। प्रिया को तो वह बहुत ज्यादा लाड़प्यार करते थे। इसी तरह दोनों बेटों की परवरिश होती रही।

बड़ी बेटी राधा विवाह योग्य हो चुकी थी। राधा के सयानी होते ही जयप्रकाश के माथे पर चिंता की लकीरें उभर आईं। वह बेटी की जल्द से जल्द शादी कर देना चाहता था। उस के लिए वह लड़का देखने लगा. गोला इलाके में ही उसे एक लड़का पसंद आ गया तो जयप्रकाश ने साल 2015 में राधा से शादी कर ली। राधा की विदाई के बाद जयप्रकाश और उनकी छोटी बेटी प्रिया घर में ही रह गए। धीरे-धीरे प्रिया भी सयानी हो गई थी।

बात 2 साल पहले की है. प्रिया बाथरूम से नहा कर बाहर निकल रही थी। सुनहरे बदन से उस के कपड़े चिपक गए थे। इत्तफाक से उसी समय जयप्रकाश किसी काम से घर में आये।

उस की नजर बेटी प्रिया पर पड़ी तो उस की आंखों में एक अजीब सी चमक जाग उठी और उस के शरीर में वासना के कीड़े कुलबुलाने लगे। उस वक्त उसे प्रिया बेटी नहीं, एक औरत लगी. वह उस के तन को नोकने की सोच लगा।

इसके बाद जयप्रकाश यही सोचते रहे कि प्रिया को कब और कैसे अपनी हवास का शिकार बनाए। इसी तरह एक सप्ताह बीत गया. एक रात जब प्रिया अपने कमरे में गहरी नींद में सो रही थी, तभी जयप्रकाश दबेपांव उस कमरे में पहुंच गए और सो रही बेटी को अपनी हवास का शिकार बना लिया। पिता के कुकृत्य से प्रिया बिलबिला प्रदान.

हवस पूरी कर के जयप्रकाश ने प्रिया को धमकाया कि अगर उसने किसी से कुछ भी कहा तो अपनी जान से हाथ धो बैठेगी। पिता की धमकियों से वह बुरी तरह डर गई और अपना मुंह बंद कर लिया। उस दिन के बाद से जयप्रकाश प्रिया को अपना शिकार बना रहा था।

पिता की घिनौनी हरकतों से प्रिया बहुत दुखी थी। वह समझ नहीं पा रही थी कि अपनी पीड़ा किससे कहे। जयप्रकाश ने उस पर इतना कद का पहरा बैठा दिया था कि वह किसी से बात तक नहीं कर सकती थी। पिता के अत्याचार से बचने के लिए उस ने घर छोड़ने का फैसला कर लिया।

प्रथम वर्ष की पढ़ाई पूरी करने के बाद प्रिया गोरखपुर में अपने एक रिश्तेदार के पास रहने लगी। वहां रहते हुए वह एक मौल में सेल्सगर्ल की नौकरी करने लगी ताकि किसी पर बोझ न बने और उस की जरूरतें भी पूरी होती रहें।

बेटी तो बेटी होती है. भले ही वह कुकर्मी पिता से दूर रह रही थी, लेकिन उसके पिता की यादें बराबर बनी रहीं, इसलिए वह बीच बीच में घर आ गई। जब वह भी घर आई थी, तो पिता ने उसे अपनी हवास का शिकार बनाया था।

26 जुलाई, 2019 को प्रिया घर गई थी। इसी से अगली रात 27 जुलाई को जयप्रकाश ने उस से संबंध बनाने की कोशिश की। प्रिया ने इस बार पिता की नाक नहीं चलने दी और विरोध करने लगी। कामाग्नि में जलते पिता जयप्रकाश ने आव देखा न ताव, उस का गला घोंट कर हत्या कर दी।

पिता से हैवान और हैवान से दरिंडा बना जयप्रकाश पूरी तरह से नीचता पर उतर आया था। उस ने बेटी की मौत के बाद उसकी लाश के साथ अपना मुंह काला कर दिया। जब उस की कामग्नि शान्त हुई तो वह होश आया। वह अपनी आंखों के सामने फांसी का फंदा झूल रहा था। उन्होंने सोचा कि प्रिया की लाश से कैसे छुटकारा पाया जाए।

काफी देर से विचार के बाद उस के दिमाग में एक योजना ने जन्म लिया। वह कमरे में गया और वहां से तेजधार वाला चाकू ले आया। चाकू से प्रिया का उस ने सिर और धड़ अलग कर दिया। सिर उस की इस करतूत से फाइल पर खून ही खून फैल गया।

फिर उस ने बेटी के शव से उस के सारे कपड़े उतार दिए और कपड़े से फाइल पर फील खून को साफ कर दिया ताकि पुलिस को उसके खिलाफ कोई सबूत न मिल सके। इसके बाद वह कमरे के अंदर से सफेद रंग के प्लास्टिक के 3 बोर ले आया। उसने एक बोरे में सिर, दूसरी में धड़ और तीसरी में प्रिया के खून से सने कपड़े रखे।

रात 2 बजे के करीब जयप्रकाश ने अपनी मोपेड पर तीन बोरे लाद दिए और उन्हें लोकेशन के लिए निकाल दिया। सिर ने उस जगह को उरुवा निवासी के अंदर आने वाली एक जगह की मूर्ति में फेंक दिया।

फिर धड़ा और कपड़े वाले बोरों को ले जाकर वह वहां से गोला के चेनवा नाला पहुंचा। नाले में उस दोनों बोरे स्थान लगा दिया गया। इसके बाद वह घर लौट आई और हाथमुंह धोकर इत्मीनान से सो गई। बात यह रही कि प्रिया के अक्सर गोरखपुर में रहने की वजह से उस के अचानक गायब होने पर किसी को संभव नहीं हुआ।

अब जयप्रकाश को एक बात की चिंता खाए जा रही थी कि भले ही लोग यह समझते हों कि प्रिया गोरखपुर में नौकरी कर रही है, लेकिन यह बात ज्यादा दिनों तक राज नहीं रह गई। एक न एक दिन पुलिस इस हत्या से परदा हटा ही देगी तो वह उम्र भर जेल की चक्की पीसेगी। उसने सोचा कि ऐसी चाल क्यों न चली जाए कि सांप भी मर जाए और लाठी भी न मर जाए।

काफी सोच-विचार करने के बाद उस ने अपने दामाद पर ही साली यानी प्रिया के अपहरण का आरोप लगाने की योजना बनाई। इससे जयप्रकाश का फायदा ही फायदा था। भविष्य में वह न तो कभी प्रिया की तलाश कर सकती थी और न ही उस की हत्या का राज खुल सकता था। वक्त जयप्रकाश का बराबर साथ दे रहा था.

कुछ दिन बाद जयप्रकाश ने दामाद सुनील के पिता को फोन करके प्रिया के गायब होने की सूचना दी। बातचीत में उस ने बेटी के गायब होने के पीछे सुनील के हाथ होने का आरोप लगाया। सुनील के पिता समधी का आरोप सुन कर चौंके।

उन्होंने इस बारे में बेटे सुनील से बात की तो साली के अपहरण का आरोप खुद पर लगने से सुनील सन्न रह गया। उस ने यह बात पत्नी राधा को बताई। राधा भी पति की बात सुन कर हैरान थी।

राधा ने उसी समय पिता को फोन किया तो जयप्रकाश ने सुनील पर बेटी के अपहरण का आरोप लगाते हुए मुकदमा दर्ज कराने की धमकी देनी शुरू कर दी। पिता की बात सुन कर राधा और सुनील पूरी तरह परेशान हो गए। जबकि वे खुद भी कई दिनों से प्रिया के मोबाइल पर संपर्क करना चाहते थे। लेकिन उस का फोन स्विच ऑफ था.

फिर 17 अगस्त, 2019 को जयप्रकाश ने खुद ही बेटी राधा को फोन करके प्रिया की हत्या करने की जानकारी दे दी।

घटना की जानकारी होने पर राधा पति सुनील के साथ 17 अगस्त को ही गांव पहुंच गई। पूछताछ में उन्होेंने पुलिस को बताया कि पहले प्रिया उन से फोन पर बातें करती थी, लेकिन बाद में पिता के दबाव में उस बात को बंद कर दिया था।

बीते 29 मई को एक रिश्तेदार के यहां विवाह समारोह में राधा और सुनील भी गए थे। उस समारोह में प्रिया भी आई थी। राधा ने वहीं पर प्रिया से मुलाकात के दौरान पूछा कि वह उसे फोन क्यों नहीं करती, तो प्रिया ने पिता के दबाव की वजह से फोन न करने की बात कही थी।

जब उस ने वह कारण पूछा तो उस ने कुछ नहीं बताया। इसके बाद से वह कभीकभार बहन और जीजा को फोन करती थी लेकिन पिता की हरकतों के बारे में उन्होंने कभी कोई चर्चा नहीं की थी।

अगर प्रिया ने थोड़ा साहस दिखाया तो उसे असम्य मृत्यु के आगोश में वह ही नहीं मिलती। वह भी ज़िंदा होती है और खुशहाल ज़िंदगी जीती है।

ऐसा नहीं है, मर्यादा की सारी मेहनत लांघ चुके कलयुगी पिता को भी मूर्तियों के पीछे पहुंचवा सकती थी, लेकिन सामाजिक लोकाज़ और डर के चलते ऐसा नहीं किया, जिसकी कीमत उसे अपनी जान दे कर चुकानी पड़ी।

पुलिस ने जयप्रकाश गुप्ता से पूछताछ के बाद उसे कोर्ट में पेश किया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया। कथा लिखने जाने तक जयप्रकाश जेल की पट्टियों के पीछे कैद था। उस की निशानदेही पर पुलिस हत्या में इस्तेमाल मोपेड, चाकू आदि बरामद कर चुकी थी।

—कथा पुलिस घटना पर आधारित



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